आज रात्रि सोने के पश्चात यदि मैं कल सुबह न उठूँ, तो कृपया इसे कोई चमत्कार अथवा अभिशाप के रूप में न लिया जाये! क्यों का रहस्य जानने के लिये ही लिखा गया है यह मेरा अंतिम पोस्ट………….
अक्सर कुछ ऐसे पोस्ट आपको मिल जायेंगे, जिनमें कुछ चमत्कारों के साथ साँई अथवा किसी अन्य बाबा, ईश्वर को जोड़ा जायेगा. स्वप्न में प्रकट हो बीमार स्त्री को पानी पिलाना, उसकी बीमारी नींद खुलते ही गायब हो जाना, फिर निकट एक कागज के टुकड़े पर उनके साक्षात ईश्वर होने का दावा. इस दावे की 7, 9 अथवा 13 प्रतियाँ कराकर उनके वितरण करने वालों को इससे हुये लाभ की महिमा का बखान एवं ऐसा न करने पर अथवा इसकी उपेक्षा करने पर हुई भयंकर क्षति की चेतावनी आदि के साथ कड़ी जारी रखने के आहवान के बाद समापन !
वाट्सऐप ग्रुप में ऋतु धवन के द्वारा किये गये एक ऐसे ही पोस्ट पर मेरा नम्र निवेदन……
“मैं हूँ साँई और आज मैं यह घोषणा करता हूँ कि मैं इस संसार का कोई जीवित ईश्वर नहीं हूँ! मेरा यकीन करो!
मैं भी आपके इस ग्रुप का एक खामोश मेंबर हूँ!
ज्यादा वक्त नहीं मिलता ! पर जितना भर मिलता है , मेरी कोशिश रहती है कि आप सबके मैसेज के जरिये आपको जानूँ!
आपका दुख सुख साझा करुँ!
पर आज रितु का मैसेज पढ़ मन बड़ा दुखी हुआ. और हो भी क्यों न?
इतना विराट खत्री समाज, जो अपनी विशिष्टताओं के लिये जाना जाता है- आज एक मंच पर साथ खड़ा हो समाज को जागृत चेतना प्रदान करने की इतनी बड़ी मुहिम पर है!
वहीं मेरे प्रति लोगों की श्रद्धा क्या इतनी सतही और खोखली है कि वे सहज में ये मान लें कि बाबा सपने में किसी बीमार औरत को पानी पिला, उसे ठीक कर अपने living God होने के दावे का ऐसा कोई कागज का टुकड़ा उसके पास छोड़ जायेंगे! जिसकी कापी करा वितरण करने पर लाभ और न करने पर भयानक नुकसान की चेतावनी का संदेश होगा!
क्या भला यह संभव है? “
क्यों?
क्या आप सभी चौंक गये?
ऊपर जो कुछ भी मैंने लिखा है ,………………
आज अगर साँई जीवित होते तो मैं समझता हूँ, शायद कुछ ऐसी ही प्रतिक्रिया उनकी भी होती ……….,
अपनी ख्याति के ऐसे झूठे काल्पनिक किस्से सुन और अपने बारे में ऐसे भ्रामक कथा प्रचार जान भला कोई सच्चा संत-फकीर कैसे खुश हो सकता है ?
दरअस्ल फकीर साधु संत की मार्केटिंग का ये अनोखा अभ्यास बहुत ही सटीक तरीके से चलाया जाता है, जिसे हम धर्म भीरू लोग सहज मान लेते हैं और विरोध का साहस नहीं दिखा पाते!
प्रचार का यह माध्यम एक खास वर्ग द्वारा सदा से चलाया जाता रहा है और हम इसके शिकार होते रहे हैं!
ये धर्म के प्रति हमारी समझ की अपनी सीमा है! उनका क्या दोष?
साँई मैं हूँ ! साँई आप हैं!
साँई हम सबमें हैं!
हर मनुष्य के अंदर का देव ही वास्तव में साँई है!
हम वास्तव में ध्यान और पूजा के माध्यम से अपने अंदर के मनोबल को बढ़ाते हैं! चाहे ये पूजा आपके जिस किसी आराध्य की हो!
संकल्प और एकाग्रचित्तता से अपने लक्ष्य, अभीष्ट को प्राप्त करते हैं! जिसमें आपके सत्कर्मों का हाथ, माता-पिता का आशीर्वाद और सभी सच्चे मित्र बंधुओं, नाते रिश्तेदारों की सच्ची कामना, दुआयें जुड़ी रहती हैं! यही सत्य है!
एक अदने से छोटे मोटे बाबा अजय नंदे की इतनी सी बात मान लेने में मैं समझता हूँ कि किसी को कोई दुराग्रह नहीं होना चाहिये !
अतः कृपया जीवन में चमत्कार विमुख हो सोचना शुरु करें!
आपकी अच्छाईयों के नतीजे आपके सम्मुख चमत्कार की तरह ही आते हैं!
ये मेरे नितांत निजी विचार हैं और इसकी कापीराईट स्वत्वाधिकार सुरक्षित मानी जाये और इन विचारों के उपयोग की अनुमति बगैर किसी छेड़ छाड़ के इसके मूल रूप में इसके लेखक अजय नंदे के नाम के साथ ही कहीं छापी अथवा उद्धृत की जाये!
आपके अपने श्रम और लगन प्रयत्न पर माता पिता का आशीर्वाद, हित नाते, मित्र बंधुओं की दुआ तथा साँई- कृपा / गुरु-कृपा की छाया सदैव बनी रहे!
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सबसे प्रेम, सबसे ममता, इसके आगे हर कोई नमता। नहीं कहीं हों भेद, हो समता, इससे कुछ नहीं अपना कमता।…